ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, सैकड़ों किलोमीटर चलकर आए थे अकबर

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दर्शन के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

 

हमारे देश में हर धर्म के लोग रहते हैं। सभी धर्मों के अपने-अपने पवित्र स्थान हैं। हालांकि, कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां सभी धर्मों के लोग जाते हैं। ऐसी ही एक जगह है अजमेर शरीफ यानि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह। ख्वाजा की यह दरगाह जयपुर से अजमेर के बीच में 145 किमी दूर है। यहां हर दिन सभी धर्मों के लोग अपनी-अपनी मर्जी से आते हैं।

 

इतना ही नहीं जब मनोकामनाएं पूरी होती हैं तो ख्वाजा को धन्यवाद देने भी आते हैं। 12वीं सदी के संत के प्रति लोगों की आस्था अटूट है। आम लोगों के अलावा अक्सर बॉलीवुड सेलेब्स भी अपनी फिल्मों की सफलता के लिए दुआ करने आते हैं।

 

बेटे की चाह में यहां आया अकबर-

सालों तक यह दरगाह मुगल बादशाह अकबर की पसंदीदा जगह रही। बेटे की मनोकामना पूरी होने पर वह सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर यहां आए थे। अकबर ने दरगाह पर मन्नत मांगी थी कि मेरे घर में बेटा पैदा हुआ तो मैं आगरा से चलकर अजमेर चलूंगा और तुम्हारी दरगाह पर आऊंगा, आखिरकार भगवान ने अकबर की बात सुनी और उसके घर जहांगीर का जन्म हुआ। जहाँगीर के जन्म के बाद अकबर 1570 में पैदल ही अजमेर चला गया और वहाँ कई दिन बिताए। कहा जाता है कि अकबर आगरा से 437 किमी चलकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह तक पहुंचा था।

 

ख्वाजा का 89 साल की उम्र में निधन-

89 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, मरने से पहले उन्होंने खुद को घर के अंदर बंद कर लिया था। अगर कोई उससे मिलने आता तो वह मना कर देता। कुछ दिनों बाद, अचानक प्रार्थना के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। ख्वाजा के चाहने वालों ने उन्हें उसी जगह दफना दिया और बाद में वहां एक मकबरा बनाया गया। मकबरा एक आंगन के केंद्र में है और एक संगमरमर के मंच से घिरा हुआ है। आपको बता दें कि चिश्ती को ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है।


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