इसे पटना की महावीर स्थल न्यास समिति नामक संस्था द्वारा बनाया जा रहा है।
विराट् रामायण मंदिर, बिहार के पूर्वी चम्पारण के चकिया - केसरिया नगर के निकट जानकीपुर में बन रहा एक आगामी मंदिर है जिसे पटना की महावीर स्थल न्यास समिति नामक संस्था द्वारा बनाया जा रहा है। कम्पूचिया के अंकोरवाट की रचना की तर्ज पर आधारित इस मंदिर को अंकोरवाट की दुगनी ऊँचाई एवं आकार का बनाए जाने की योजना है। इस मंदिर-समूह में कुल 18 देवताओं के मंदिर होंगे जिनमें मुख्य आराध्य भगवान राम होंगे। आकार में इस मंदिर का प्रमुख शिखर अंकोरवाट से करीब दुगना, 405 फ़ुट ऊंचा होगा। साथ ही, यह 200 एकड़ के क्षेत्र पर फैला होगा। इस आकार के साथ, पूर्ण होने पर यह विश्व की सबसे बड़ा धार्मिक संरचना होगी। इस निर्माणकार्य की कुल लागत ₹500 करोड़ होगी। यह मंदिर पूर्वी चंपारण के केसरिया में स्थित है। इसकी सटीक निर्दिस्थिती, केसरिया के निकट जानकी नगर में बहुआरा काठवलिया गाँवों में केसरिया-चईका सड़क पर है। यह स्थल वैशाली से 60 किलोमीटर और पटना से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर है।
योजनानुसार इस मंदिर को मुख्यतः कम्पूचिया के अंकोर वाट मंदिर की अनुकृति के रूप में बनाया जा रहा है, परंतु यह अंगकोर वात का तथस्त प्रतिरूप (हूबहू नकल) नहीं होगा, इसकी रूपाकृति को अंकोरवाट, रामेश्वरम और मीनाक्षी मंदिरों के तत्वों से प्रेरित होकर बनाया जाएगा। 13 नवम्बर 2013 को बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने इस मंदिर के भावी प्रतिरूप का अनावरण किया था। आकार में यह अंगकोर वात का दुगना होगा। इसके पूरे परिसर की लम्बाई 2800 फ़ीट, और चौड़ाई 1400 फ़ीट होगी और मुख्य शिखर की ऊँचाई 405 फ़ीट होगी। इस परियोजना का कुल क्षेत्रफल 39,20,000 वर्ग फ़ीट (यानी करीब 200 एकड़) होगी। इस पूरे मंदिर-समूह में कुल 18 गर्भ गृह होंगे, जिनमें केन्द्रीय शिखर के नीचे भगवान राम, उनकी सहचारिणीं सीता एवं लव और कुश की प्रतिमाएं विराजमान की जाएंगी। इस मुख्य गृह के समक्ष 20,000 लोगों की आयतन वाला एक विशाल प्रार्थना मंडप भी होगा। साथ ही इस मंदिर में 33 फुट ऊंचा, विश्व के बृहदतम् शिवलिंग को स्थापित करने की भी योजना है।
इस पूरे परियोजना की लागत 500 करोड़ रुपय है। संकल्पतः प्राथमिक तौर पर इस मंदिर का नाम विराट अंकोरवाट मंदिर रखा गया था। इसकी योजना के आन्वरण एवं प्रचलित चर्चा होने के बाद, कम्बोडियाई सरकार ने इस मंदिर के नाम को असल अंगकेर वात की नकल होने पर भारत सरकार से आपनी आपत्ति व चिन्ता जताई। इसके बाद भारत सरकार द्वारा रोक के पश्चात इस मंदिर के नाम को बदल कर इसे विराट रामायण मंदिर का नाम दे दिया गया। इस पूरी परियोजना के सूत्रधार आचार्य किशोर कुणाल हैं, जो पटना के महावीर मंदिर न्यास के सिचिव एवं बिहार राज्य धार्मिक नायास बोर्ड के आध्यक्ष हैं। महावीरस्थल न्यास समिति, जो पटना के महावीर मंदिर में आधारित है, की प्राथमिक योजना गंगा-पार, हाजीपुर में विराट अंकोरवात मंदिर, नामक एक भव्य मंदिर बनाने की थी, जिस्का आकार, संकल्पतः, असल मंदिर का दुगना हो। इसी संदर्भ में न्यास ने कुछ भूमी अधीगृत की च्येठटा में थी। इसी बीच न्यास ने पूर्वी चंपारण में 161 एकड़ भूमी अधीगृत कर ली, जिसके बाद 120 कीलोमीटर दूर चंपारण में इस भव्य विराटाकार धर्मालय बलाने की परियोजना तईयार की गई।
कम्बोडियाई सर्कार द्वारा जताई गई आपत्ति और चिंता के बाद सरकार ने इसे अंग्कोर की हूबहू नकल बनाने से मना कर दिया। नए मंदिर के प्रतिरूप की अनावरण मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने 13 नवम्बर 2013 को किया था। कम्पूचिया का अंकोरवाट विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर, सबसे बड़ा धर्मस्थल, सबसे सूप्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। उसकी भव्यता एवं गौरव को देखने के लिए वहां हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। साथ ही वह कम्बोडिया के लिये विदेशी मुद्रा कमाने का एक प्रमुख स्रोत भी है। भारत में इसका प्रतिरूप बनने से कम्बोडियाई सरकार को इस बात से चिन्ता थी की इससे अंकोरवाट की लोकप्रियता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसी करण कम्बोडियाई सरकार इस मंदिर के निर्माण का विरोध कर रही है। इस विरोध के उत्तर में भारत सरकार के निर्देशतः मंदिर के नाम समेत, इस परियोजना में अन्य काफी बदलाव भी किये गए हैं। यह मंदिर निर्माणाधीन है। मंदिरनिर्मिण का कार्य जून 2015 को शुरू हो गया था।