माता मान्सा देवी मन्दिर भारत के हरियाणा राज्य के पंचकूला जिले में मान्सा देवी को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। मंदिर परिसर शिवालिक की तलहटी मे गांव बिलासपुर में के 100 एकड़ (0.40 किमी 2) मे बना है जोकि चण्डीमन्दीर से 10 किमी, की दूरी पह है और इस क्षेत्र में एक और प्रसिद्ध देवी मंदिर, दोनों ही चंडीगढ़ के बाहर है। यह एक है उत्तरी भारत के प्रमुख शक्ति मंदिर है। नवरात्र उत्सव मंदिर में नौ दिनों के लिए मनाया जाता है, जोकि साल मे दो बार आता है जिसमे लाखों भक्त मंदिर मे आते हैं। चैत्र और अश्विन महीने के दौरान श्रद्धायम नवरात्रि मेला मंदिर के परिसर में आयोजित किए जाते हैं। हर साल दो नवरात्रि मेला आश्विन (शारदीया, शरद या शीतकालीन नवरात्र) के महीनों में और श्राइन बोर्ड द्वारा बसंत नवरात्रि के चैत माह में दूसरे दिन आयोजित किए जाते हैं।
नवरात्र के पावन मौके पर हम आपको पंचकूला के मशहूर माता मनसा देवी मंदिर का इतिहास बताने जा रहे है, जो अपने आप में बेहद खास है। इस मंदिर का इतिहास बड़ा ही प्रभावशाली है। माता मनसा देवी मंदिर में चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है। जिसके चलते यहां लाखों की तादाद में श्रध्दालु आते हैं। यहां लोग माता से अपनी मनोकामना को पुरा करने के लिए आशिर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि माता मनसा देवी से मांगी गई हर मुराद माता पूरी करती है।
कहा जाता है कि जिस जगह पर आज मां मनसा देवी का मंदिर है, यहां पर सती माता के मस्तक का आगे का हिस्सा गिरा था। मनसा देवी का मंदिर पहले मां सती के मंदिर के नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि मनीमाजरा के राजा गोपालदास ने अपने किले से मंदिर तक एक गुफा बनाई हुई थी, जो लगभग 3 किलोमीटर लंबी है। वे रोज इसी गुफा से मां सती के दर्शन के लिए अपनी रानी के साथ जाते थे। जब तक राजा दर्शन नहीं नहीं करते थे, तब तक मंदिर के कपाट नहीं खुलते थे
माता मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि अन्य सिद्ध शक्तिपीठों का। माता मनसा देवी के सिद्ध शक्तिपीठ पर बने मदिंर का निर्माण मनीमाजरा के राजा गोपाल सिंह ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर आज से लगभग पौने दो सौ साल पहले चार साल में अपनी देखरेख में सन् 1815 में पूर्ण करवाया था।
मुख्य मदिंर में माता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के आगे तीन पिंडियां हैं, जिन्हें मां का रूप ही माना जाता है। ये तीनों पिंडियां महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती हैं। मंदिर की परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णवी देवी, भैरव की मूर्तियां एवं शिवलिंग स्थापित है। हरियाणा सरकार ने मनसा देवी परिसर को 9 सितम्बर 1991 को माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन करके इसे अपने हाथ में ले लिया था।