भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित कई मंदिरों के साथ आज मथुरा हिंदू भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

भगवान् कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा को आज भी ब्रज भूमि या 'अनंत प्रेम की धरती' की तरह पूजा जाता है, यमुना नदी के तट पर स्थित यह नगरी को भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपना बचपन और युवावस्था यहीं बिताई थी। गोपियों के साथ उनकी रास लीला हिंदुओं के मन में अंकित है और मंदिरों, भजनों, कला और चित्रों के रूप में अमर है। भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित कई मंदिरों के साथ आज मथुरा हिंदू भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यमुना नदी के तट पर स्थित मथुरा को भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक माना जाता है। भारत को एक आध्यात्मिक गंतव्य माना जाता है और बहुत से लोग शांति और ज्ञान की तलाश में आश्रमों और मंदिरों की ओर रुख करते हैं। मथुरा को हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों द्वारा पवित्र माना जाता है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर या कृष्ण का जन्म स्थान यहां का सबसे पवित्र मंदिर है।

दरअसल मथुरा का हर आकर्षण किसी न किसी रूप में भगवान कृष्ण से जुड़ा है। आइए स्लाइड्स में जानते हैं एक दिन में कैसे देखे जा सकते हैं मथुरा-वृंदावन की खास जगहें। नाश्ते में आप जलेबी-दही, कचौरी, कुरकुरी-कचौरी आदि खा सकते हैं. नाश्ता करने के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि के भ्रमण पर जा सकते हैं. प्रसिद्ध कृष्ण जन्मभूमि मंदिर या कृष्ण जन्मस्थान को हिंदुओं की पूजा के लिए पवित्र भूमि माना जाता है। मंदिर परिसर के अंदर एक जेल जैसी संरचना है और ऐसा माना जाता है कि भगवान का जन्म यहीं हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने जहांगीर के शासनकाल में करवाया था। श्री कृष्ण मंदिर के दर्शन करने के बाद, आप वृंदावन की ओर जा सकते हैं।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि से केवल 15 रुपये खर्च कर ऑटो से वृंदावन पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा आप अपनी कार या बाइक और कैब से भी जा सकते हैं। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर प्राचीन गायक तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास द्वारा निर्मित एक हिंदू मंदिर है। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में राजस्थानी शैली की उत्कृष्ट नक्काशी है। बांके का शाब्दिक अर्थ है - तीन स्थानों पर मुड़ा हुआ और बिहारी का अर्थ है - उत्तम उपभोक्ता। यह मंदिर दोपहर 12:30 से शाम 4 बजे के बीच बंद रहता है। उसके बाद आप निधिवन जा सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसका अस्तित्व भगवान कृष्ण के समय से है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर भगवान कृष्ण ने राधा और अन्य गोपियों के साथ रासलीला की थी। फुलवारी में ही एक छोटा नक्काशीदार मंदिर है, जो भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा को समर्पित है।

इस मंदिर के आसपास कई बंदर हैं, इसलिए इस मंदिर में जाते समय अपने सामान की रक्षा स्वयं करें। आप चाहें तो बंदरों को चना और केला भी खिला सकते हैं। वृंदावन घूमने के बाद शाम को आप यमुना नदी में बोटिंग का मजा ले सकते हैं। यहां सुबह और शाम आध्यात्मिक आरती भी होती है। इस्कॉन मंदिर, जिसे श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, 1975 में बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर ठीक उसी जगह पर बना है, जहां 5000 साल पहले भगवान कृष्ण अन्य बच्चों के साथ खेलते थे। मंदिर में कई सुंदर चित्र बनाए गए हैं, जिनमें भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का वर्णन किया गया है। यह अन्य मंदिरों से थोड़ा अलग है। क्योंकि लोग यहां न केवल पूजा करने आते हैं, बल्कि वे यहां साधना करने और पवित्र श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने आते हैं।


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