हरिद्वार, जिसे हरद्वार भी कहा जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है, जिसके मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं।

हरिद्वार के उत्तर में देहरादून जिला, पूर्व में पौड़ी गढ़वाल जिला, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य के ही मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर जिले हैं।

हरिद्वार क्षेत्र छठी शताब्दी ईसा पूर्व में प्राचीन कोशल राज्य का हिस्सा था, जो बाद में नंद तथा मौर्य वंश द्वारा शासित मगध साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 184 ईसा पूर्व में मौर्य वंश के पतन के साथ ही यह शुंग राजवंश के वर्चस्व के अधीन आ गया, और 72 ईसा पूर्व तक रहा। इसके बाद यहां 226 ईस्वी तक कुशानों का राज चलने के बाद 320 ईस्वी से 980 ईस्वी के अंत तक गुप्त साम्राज्य का शासन रहा। दिल्ली सल्तनत के शासनकाल के समय यह क्षेत्र दिल्ली सूबे का हिस्सा था। अकबर और उनके तत्काल उत्तराधिकारियों के समय में यह सहारनपुर में रहने वाले अधिकारी के अधीन था, और उस समय सहारनपुर और हरिद्वार में तांबे के सिक्कों के टकसाल थे। जिले के बाद के इतिहास में सिखों और मराठों के आक्रमण का उल्लेख है। 1857 के विद्रोह के समय रुड़की, कनखल, ज्वालापुर और हरिद्वार के जंगलों में स्वतंत्रता सेनानियों और ब्रिटिश सेना के बीच कई छिटपुट लड़ाइयाँ भी लड़ी गई थी। ब्रिटिश काल में इस क्षेत्र में प्रशासनिक सुधार, राजस्व समाधान, शैक्षिक और चिकित्सा सुविधाओं, और स्थानीय स्वशासन पर काफी काम प्राधिकारियों द्वारा शुरू किया गया था।

मंगलौर, हरिद्वार और रुड़की में क्रमशः 1860 , 1873 और 1884 में नगरपालिका बोर्ड स्थापित किए गए थे। हरिद्वार में 1900 में गुरुकुल कांगडी की स्थापना हुई, जो बाद के वर्षों में प्राच्य अध्ययन (प्राचीन भारतीय संस्कृति के आधार पर) के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ, और साथ ही कांग्रेस द्वारा चलाये गए विभिन्न आंदोलनों के लिए गढ़ भी रहा। हरिद्वार जिला, सहारनपुर डिवीजनल कमिशनरी के भाग के रूप में 28 दिसम्बर 1988 को अस्तित्व में आया। 24 सितंबर 1998 के दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, 1998' पारित किया, अंततः भारतीय संसद ने भी 'भारतीय संघीय विधान - उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000' पारित किया, और इस प्रकार 9 नवम्बर 2000, के दिन हरिद्वार भारतीय गणराज्य के 27वें नवगठित राज्य उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल), का भाग बन गया। 2011 की जनगणना के अनुसार हरिद्वार जिले की जनसंख्या 18,90,422 है, जो लगभग लेसोथो, या अमेरिका के पश्चिम वर्जीनिया राज्य के बराबर है। जनसंख्या के मामले में भारत में इसका स्थान 244वां है।

जिले में जनसंख्या घनत्व 817 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। 2001-2011 के दशक में इसकी जनसंख्या वृद्धि दर 33.16% थी। हरिद्वार की साक्षरता दर 74.62% है और लिंग अनुपात 879 महिलायें प्रति 1000 पुरुष है। जिले के प्रशासनिक मुख्यालय हरिद्वार नगर के रोशनाबाद क्षेत्र में हैं, जो हरिद्वार रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रशासनिक कार्यों के लिए जिले को तीन तहसीलों में विभाजित किया गया है: रुड़की, लक्सर और हरिद्वार। इसके अतिरिक्त जिले को आगे 6 सामुदायिक विकास खण्डों और 316 ग्राम पंचायतों में भी बांटा गया है। जिले में कुल 612 गांव और 24 शहर हैं। जिले में एक संसदीय क्षेत्र, और 11 उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें हरिद्वार, हरिद्वार ग्रामीण, भेल रानीपुर, ज्वालापुर, भगवानपुर, रुड़की, पिरान कलियार, खानपुर, मंगलौर, लक्सर और झबरेड़ा शामिल हैं। जिले में कोई भी विमानक्षेत्र नहीं है, हालांकि लक्सर और शिकारपुर नगरों में दो हेलिपैड साइटें प्रस्तावित हैं। मुख्यालय हरिद्वार से लगभग 50 किलोमीटर दूर देहरादून में स्थित जॉली ग्राण्ट विमानक्षेत्र निकटतम हवाई अड्डा है।

जॉली ग्राण्ट स्पाइस जेट, इंडिगो तथा जेट एयरवेज की उड़ानों द्वारा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु इत्यादि महत्वपूर्ण नगरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र जिले से निकटतम अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जिले में कुल 13 रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें से 6 स्टेशन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। सभी स्टेशन भारतीय रेलवे के उत्तरी जोन के मुरादाबाद मण्डल के अंतर्गत आते हैं। जिले से होकर जाने वाली रेलवे लाइन की कुल लंबाई 72 किलोमीटर है। प्रति हजार वर्ग किमी क्षेत्र में रेल लाइन की लंबाई 30.1 किलोमीटर है। हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन जिले का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। लक्सर और रुड़की अन्य महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन हैं। वर्ष 2009-10 के लिए उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक जिले में सड़कों की कुल लंबाई 1,153 किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग 34, 334, 344 और 307 जिले से होकर गुजरते हैं। उत्तराखण्ड का कोई भी राज्य राजमार्ग जिले से नहीं गुजरता है। जिले में यातायात के प्रमुख साधन राज्य सड़क परिवहन निगम की और निजी बसें, टैक्सी, जीप, और ट्रक आदि हैं। पूरे जिले में बस स्टेशनों/बस स्टॉपों की संख्या 393 है।


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