इस शक्तिपीठ में बरसों से जल रही है 09 लपटें, जिसका चमत्कार कभी खुद बादशाह अकबर ने देखा था।

ज्वाला देवी मंदिर शक्ति की कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन पवित्र ज्योति हमेशा जलती रहती है।

देश में शक्ति के कई ऐसे पवित्र स्थान हैं, जो हर तरह के चमत्कारों से भरे पड़े हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि आज तक कोई भी उन चमत्कारों के पीछे के रहस्य का पता नहीं लगा पाया है। ऐसा ही एक पवित्र शक्तिपीठ है मां ज्वाला देवी का मंदिर, जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है। सुख और समृद्धि प्रदान करने वाले पवित्र शक्तिपीठों में से एक मां ज्वालामुखी का दिव्य निवास है। इस पवित्र शक्तिपीठ को एक पवित्र और उग्र स्थान माना जाता है।

 

मां ज्वाला देवी मंदिर का पौराणिक इतिहास

शक्तिपीठ मां ज्वाला देवी के बारे में मान्यता है कि यहां माता सती की अधजली जीभ गिरी थी। जिसे बाद में लोगों ने मां ज्वालादेवी कहकर पुकारा और साधना की। माता के इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। यहां लगातार निकलने वाली आग को मां ज्वालादेवी का स्वरूप माना जाता है। यहां शक्ति के नौ रूपों में नौ ज्वाला हमेशा जलती रहती है।

 

माता के दरबार में अकबर ने चढ़ाया था स्वर्ण छत्र

ज्वाला देवी के इस चमत्कारी शक्तिपीठ में सदियों से एक पवित्र ज्योति जल रही है, जो किसी भी तरह से बुझने पर नहीं बुझती। ऐसा माना जाता है कि मुगल काल के दौरान सम्राट अकबर इस मंदिर में आए थे। पहले तो अकबर ने भगवती श्री ज्वालाजी की पवित्र ज्वाला को बुझाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन अंत में असफल होने पर उन्होंने भगवती के चरणों में सोने की छतरी चढ़ा दी।

 

कुछ ऐसा है मां का पावन दरबार

मां ज्वालादेवी का यह मंदिर कालीधार नामक पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। इस मंदिर के ऊपर सुनहरे गुंबद और ऊंची चोटियों का निर्माण किया गया है। मंदिर के अंदर तीन फीट गहरा और चौकोर गड्ढा है, जिसके चारों ओर रास्ता बना हुआ है। मां के दरबार के ठीक सामने सेजा भवन है, जो भगवती ज्वाला देवी का शयनकक्ष है। इस भवन में प्रवेश करने पर बीच में माता की शय्या (सिंहासन) दिखाई देती है।

 

इन देवताओं के भी होते हैं दर्शन

नवरात्रि के दिन मां ज्वाला जी के दरबार में दर्शन, पूजा आदि का बहुत महत्व होता है। इसके अलावा यहां ब्राह्मण भोजन और कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। माता के दरबार के अलावा गोरख डिब्बी, श्री राधा कृष्ण मंदिर, लाल शिवालय, सिद्ध नागार्जुन, अंबिकेश्वर महादेव और टेढ़ा मंदिर जैसे सिद्ध स्थान भी हैं।


Popular

Popular Post